Monday, April 18, 2011
Meri Janambhumi
मैंने जन्म लिया , पर्वतो की बीच घाटी में,और आ गया तब मैदान की तलहटी में,पड़ा लिखा नौकरी करने लगा,रोटी मिलने लगी, घर भूलने लगा,मैं ही क्या, सब भूल जाते हैं,तब जबकि वह सितारों की दुनिया में बसने लगते हैं,मैं भूल गया उस जन्मस्थली को, दुग्धपान कराने वाली जननी को,भावाभिव्यक्ति से क्या मैं, लौट रहा हूँ,या अनायास ही अपनी खामियों को व्यक्त कर रहा हूँ,कुछ भी हो यह मेरा वर्चस्व है,मुझे मालूम है की जन्मस्थली ही सर्वस्व है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment