२०१० का आंसू
छेन्द स्वयंबर का निर्भगी राखीबिचरी येखुली रह ग्याईतमशु देखणा की "लाइव " चुप-चापहम्थेय भी अब सैद आदत सी व्हेय ग्याईभाग तडतूडू छाई कन्नू बल कसाब कु ,वू भी अब अतिथि देव व्हेय ग्याईलोकतंत्र की हुन्णी चा रोज यख हत्या ,इन्साफ अध रस्ता म़ा बल अध्-मोरू व्हेय ग्याईकॉमन- वेल्थ का छीं आदर्श भ्रष्ट ,सरकार बल राजा की गुलाम व्हेय ग्याईमन छाई घंगतोल म़ा की क्या जी करूँ " गीत ",तबरी अचाणचक से बल शीला ज्वाँन व्हेय ग्याईघोटालूँ कु २०१० सुरुक सुरुक मुख छुपे की ,अंतिम सांस लींण ही वलु छाई,की तबरी विक्की बाबू की हवा लीक व्हेय ग्याई ," गीत "आँखों म़ा देखि की अस्धरा लोगों का ,अब कुछ और ना सोची भुल्ला ?२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई२०१० कु निर्भगी प्याज जांद जांद युन्थेय भी आखिर रूवे ग्याई
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