खिला एक फूल फिर इन पहाडों में.
मुरझाने फिर चला delhi की गलियों में.
graduate की डिग्री हाथ में थामे निकल गया.
फिर एक uttrakhandi लड़का जिंदा लांश बन गया.......
खो गया इस भागती भीड़ में वो.
रोज़ मारा बस के धक्कों में वो.
दिन है या रात वो भूल गया.
फिर एक uttrakhandi लड़का जिंदा लांश बन गया......
देर से रात घर आता है पर कोई टोकता नहीं.
भूख लगती है उसे पर माँ अब आवाज लगाती नहीं.
कितने दिन केवल चाय पीकर वो सोता गया.
फिर एक uttrakhandi लड़का जिंदा लांश बन गया......
अब साल में चार दिन घर जाता है वो.
सारी खुशियाँ घर से समेट लाता है वो.
अपने घर में अब वो मेहमान बन गया
फिर एक uttrakhandi लड़का जिंदा लांश बन गया......
मिलजाए कोई गाँव का तो हँसे लेता है वो.
पूरी अनजानी भीड़ में उसे अपना लगता है वो.
गढ़वाली गाने सुने तो उदास होता गया..
फिर एक uttrakhandi लड़का जिंदा लांश बन गया......
न जाने कितने फूल पहाड के यूँ ही मुरझाते हैं..
नौकरी के बाज़ार में वो बिक जाते है.
रोते हैं माली रोता है चमन..
उत्तराखंड का फूल उत्तराखंड में महकेगा की नहीं...............?
Garhwali youth
Thursday, April 15, 2010
Wednesday, April 7, 2010
आंखी बाठु दिखणी छन,
वी कू दिल मा आणा कू,
जणदू छो की व नि आली,
पर किया कन ये पराण कू ,
is my own line about her but i am still wating
जाणी कुजणी कखा बट्नी ए होली खुद तेरी ,
खुद तेरी ,
मीठी मीठी सी किकोली लगे गे गोली मा हों हों हों हों**************************हिचकियों से एक बात का पता चलता है,कि कोई हमे याद तो करता है,बात न करे तो क्या हुआ,
कोई आज भी हम पर कुछ लम्हे बरबाद तो करता है ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नही होती,
हर बात समझाने के लिए नही होती,याद तो अक्सर आती है आप की,
लकिन हर याद जताने के लिए नही होती
वी कू दिल मा आणा कू,
जणदू छो की व नि आली,
पर किया कन ये पराण कू ,
is my own line about her but i am still wating
जाणी कुजणी कखा बट्नी ए होली खुद तेरी ,
खुद तेरी ,
मीठी मीठी सी किकोली लगे गे गोली मा हों हों हों हों**************************हिचकियों से एक बात का पता चलता है,कि कोई हमे याद तो करता है,बात न करे तो क्या हुआ,
कोई आज भी हम पर कुछ लम्हे बरबाद तो करता है ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नही होती,
हर बात समझाने के लिए नही होती,याद तो अक्सर आती है आप की,
लकिन हर याद जताने के लिए नही होती
कोई दीवाना कहता है. कोई पागल समझता है. मगर धरती की बेचैनी, को बस बादल समझता है.मैं तुझसे दूर कैसा हूँतू मुझसे दूर कैसी है.यह तेरा दिल समझता है,या मेरा दिल समझता है.मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है,कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है.यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों मैं आंसू है,जो तू समझे तो मोती है,जो न समझे तो पानी है.समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता,यह आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता,,मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुनलेजो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता.या मेरा दिल समझता है
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